tag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post3207436314262359951..comments2023-10-30T15:33:34.839+05:30Comments on पुरातत्ववेत्ता: एक पुरातत्ववेत्ता की डायरी -दसवां दिन - पाँच शरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-90211021759233354972009-11-07T22:49:02.407+05:302009-11-07T22:49:02.407+05:30हम अपने पुरातत्व के प्रति गैर संवेदनशील हैं. मैंने...हम अपने पुरातत्व के प्रति गैर संवेदनशील हैं. मैंने भोपाल के निकट भीमबेटिका में युगों पूर्व के भित्तचित्रों पर किसी साधू की पुताई देखी है, उधर अशोक की कई शिलायें गैर जिम्मेवार रवैये से नष्ट हो रही हैं. <br /><br />आपका ब्लाग हमें ज्ञान तो देता ही है, चेताता भी है. आदर.पंकजhttps://www.blogger.com/profile/05230648047026512339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-4486884707192147062009-11-05T23:21:01.611+05:302009-11-05T23:21:01.611+05:30शरदजी आपके ब्लाग पर मेरा आना-जाना होता है। डैस बोर...शरदजी आपके ब्लाग पर मेरा आना-जाना होता है। डैस बोर्ड में ही दर्ज आपके ब्लाग की प्रविष्टियां मुझे देखने को मिल जाती हैं। बेहद अच्छा और नियमित लिखते हैं आप। मैं ब्लागलेखन में निरंतरता नहीं कायम रख पाता हूं। इसीलिए व्यवस्थित नहीं लिख पारहा हूं। मगर आपका योगदान ब्लागजगत में सराहनीय है। इसे बनाए रखिए। Dr Mandhata Singhhttps://www.blogger.com/profile/05562848365103091157noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-29353046554191997792009-11-04T17:14:01.452+05:302009-11-04T17:14:01.452+05:30नहीं तो तुम्हारा कोई जूनियर चाल्कोलिथिक पीरियड मे...<b>नहीं तो तुम्हारा कोई जूनियर चाल्कोलिथिक पीरियड में विल्स या पनामा का उद्भव जैसे विषय पर शोधपत्र प्रस्तुत कर देगा ।</b><br />-----------<br />क्या बात है। तार न मिला तो युग वायरलेस का!<br /><br />खैर, हमारी पुरातत्वीय विरासत तो धूल खा रही है। उसकी कीमत ही नहीं जानते हम लोग! आपके ब्लॉग पर आ कर सोचने को तो मिलता है यह।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-49484242735457770982009-11-04T15:30:32.600+05:302009-11-04T15:30:32.600+05:30वाकई में बडी मेहनत और सजगता का काम है ।
हमारे गांव...वाकई में बडी मेहनत और सजगता का काम है ।<br />हमारे गांव के पास के एक मन्दिर में महावीर की मूर्ति है जिसे लोग देवी मानकर पूजा करते हैं । वह मूर्ति शायद बौद्धकालीन है । आपकी बात सही है । हमने ऐसे कई गांव देखे हैं जहां पुरातात्विक महत्व की चीजें गांव वाले अनजाने में अपने घरों में लगाए हुए हैं ।अर्कजेशhttps://www.blogger.com/profile/11173182509440667769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-29453011347162311222009-11-04T12:25:51.473+05:302009-11-04T12:25:51.473+05:30रोचक किस्सा है.
**कभी इतनी गहराई से सोचा नहीं की य...रोचक किस्सा है.<br />**कभी इतनी गहराई से सोचा नहीं की ये वस्तुएं संग्रहालय तक कैसे पहुंची..क्योंकि मालूम है की इस सब के लिए विभाग हैं जो अपना काम कर रहे हैं-<br />-हाँ ,इनकी कीमत किस आधार पर तय होती है यह ज़रूर सोचा जाता है.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-6435270937677864912009-11-04T10:11:51.463+05:302009-11-04T10:11:51.463+05:30रोचक जानकारी!रोचक जानकारी!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-67003025632657857602009-11-04T00:00:46.699+05:302009-11-04T00:00:46.699+05:30bahut hi sundar JANKARI di aapne. BADHAIbahut hi sundar JANKARI di aapne. BADHAIराजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-68205500812295246642009-11-03T21:57:29.670+05:302009-11-03T21:57:29.670+05:30लीजिए, हम अभी तक आपकी कविताएं ही पढ़ रहे थे...
यहां...लीजिए, हम अभी तक आपकी कविताएं ही पढ़ रहे थे...<br />यहां तो आप खोदा-खोदी भी कर रहे हैं...<br /><br />गिरिजेश जी ने क्या खूब कहा है...रवि कुमार, रावतभाटाhttps://www.blogger.com/profile/10339245213219197980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-73631202304597124532009-11-03T19:41:42.706+05:302009-11-03T19:41:42.706+05:30पढे लिखे प्रशिक्षित व्यक्तियों का ये हाल तो फिर और...पढे लिखे प्रशिक्षित व्यक्तियों का ये हाल तो फिर औरों का कहना ही क्या ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-1055742968744494462009-11-03T17:02:56.327+05:302009-11-03T17:02:56.327+05:30वाकई बहुत कुछ हम खो चुके हैं। पर हम अभी भी इस राष्...वाकई बहुत कुछ हम खो चुके हैं। पर हम अभी भी इस राष्ट्रीय संपदा के प्रति सतर्क नहीं और लगातार इन्हें खोते जा रहे हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-22393163800770748242009-11-03T11:34:54.088+05:302009-11-03T11:34:54.088+05:30हम्म ..बात तो सही है की मंदिरों के स्थान पर वे मूर...हम्म ..बात तो सही है की मंदिरों के स्थान पर वे मूर्तियाँ संग्रहालय में रहने पर अधिक सुरक्षित और प्रासंगिक होंगी पर आप हमारे देश की जनता को बेहतर समझते होंगे ..इसलिए इसे दिवास्वप्न ही समझिएL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-47649387099300576832009-11-03T11:30:59.371+05:302009-11-03T11:30:59.371+05:30उस खुदाई में मिली वस्तु से अधिक बेहतर यह वस्तु ह...उस खुदाई में मिली वस्तु से अधिक बेहतर यह वस्तु है जो मन के अंदर लालसा के रूप में सदा मौजूद रहती है जबकि यह सबके अंदर ही हो ऐसा भी नहीं है। पर फिर भी अधिकतर इस वायरस से ग्रस्त हैं जबकि इसके असली रस का आनंद इसे बांटने पर ही मिलता है। बांटने के लिए संग्रहालय में संजोने से बेहतर और क्या हो सकता है और लालच की मंशा से खुद चुरा लेना अथवा घर ले जाकर इस्तेमाल करना मानव के स्वार्थ को ही प्रकट करता है। आपने पुरातत्ववेत्ता के इस ब्लॉग में मानव मन की भी बेहतर खुदाई कर डाली है। आप धन्य हैं बंधु। ऐसे ही धन को सबको बांटते रहें।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-4654002742586432962009-11-03T11:03:33.119+05:302009-11-03T11:03:33.119+05:30भारतीयों की मानसिकता ऐसी ही है .. अपने किसी कारीगर...भारतीयों की मानसिकता ऐसी ही है .. अपने किसी कारीगर को या उसकी कारीगिरी को वे तबतक महत्व नहीं देते .. जबतक उसकी महानता के किस्से किताबों में लिखे न मिलें .. टी वी में दिखाई न पडें .. या किसी विदेशी संस्था के द्वारा पुरस्कृत न कर दिया जाए .. जिन प्राचीन वस्तुओं को हम पैरों तले रौंदते आए हैं .. उसे महत्व देकर विदेशियों ने अबतक संभाले रखा तो इसमें हर्ज क्या है .. अब उसे देखकर ललचना तो हमारी बेवकूफी ही होगी .. इसके बाद भी हम अपने कलाकारों का , कलाकृतियों का महत्व देना सीख जाएं .. तो हमारे लिए बहुत बडी उपलब्धि होगी !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-57409600818619063882009-11-03T10:14:30.331+05:302009-11-03T10:14:30.331+05:30yah baat to ek puratatv vetta aur itihaskar jyada ...yah baat to ek puratatv vetta aur itihaskar jyada samjh sakate hai..waise ham log bhi samajhte hai par mahatv thoda alag hota hai...aur agar wastvik jaankari ho to fir bahut badhiya...sundar jaankari..aabhar..sharad jiविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-79688577195122235542009-11-03T09:50:51.954+05:302009-11-03T09:50:51.954+05:30बहुत रोचक बात कोकाश जी, एक ऐसा ही वाक्य याद आ रहा...बहुत रोचक बात कोकाश जी, एक ऐसा ही वाक्य याद आ रहा है, उस जमाने में टिहरी गढ़वाल का पुराना शहर खूब रचा बसा था ( अब तो डैम के अन्दर डूब गया ) मेरे एक परिचित की वहाँ दुकान थी, काफी समृद्ध थे, उनकी स्मृद्ता के बारे में अपने दादाजी से सुना था की एक समय में उनके बहुत बुरे हाल थे, की एक दिन उनके पदोश में रहने वाला एक लाटा किस्म का इंसान भागीरथी सेपानी भरकर ला रहा था थ जब उसने पानी भरने के लिए बाल्टी नदी में डुबोई होगी तो पानी के साथ-साथ एक हीरा भी आ गया, लाटा नहीं जानता था कि यह हीरा क्या कीमती चीज होती है, अतः उसके लाते पण का फायदा उठा उन महाशय ने बाल्टी वही पर यह कह कर उडेल दी कि इससे पानी जहरीला हो जाएगा और उस लाते को दूसरी बाल्टी भरकर लाने को कहा, जैसे ही वह गया इन महाशय ने वह हीरा उठाकर जेब में डाल दिया, और तब से अमीर बन गए !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-89474922050802901372009-11-03T09:24:27.568+05:302009-11-03T09:24:27.568+05:30बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने! बहुत अच्छा लगा! ह...बहुत बढ़िया जानकारी दी है आपने! बहुत अच्छा लगा! हमेशा की तरह एक उम्दा पोस्ट!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-34789918901373027212009-11-03T09:21:14.529+05:302009-11-03T09:21:14.529+05:30bahut hi rochak aur gyanvardhak jaankari ...sansma...bahut hi rochak aur gyanvardhak jaankari ...sansmaran ke saath......Mahfooz Alihttps://www.blogger.com/profile/03655176540994817573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-14751440758496153052009-11-03T08:50:48.996+05:302009-11-03T08:50:48.996+05:30शरद वृतांत बढ़िया चल रहा है, बधाई.शरद वृतांत बढ़िया चल रहा है, बधाई.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10509112011485678782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-78009920075241550812009-11-03T08:46:40.428+05:302009-11-03T08:46:40.428+05:30रोचक उत्खननरोचक उत्खननArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-56057634186606212612009-11-03T08:17:54.058+05:302009-11-03T08:17:54.058+05:30@ चाल्कोलिथिक पीरियड में विल्स या पनामा का उद्भव ...@ चाल्कोलिथिक पीरियड में विल्स या पनामा का उद्भव <br />हा! हा !हा!! भैया क्या क्या बातें निकल कर आती हैं आप की डायरी से। बहुत रोचक चल रही है। बहाने से ही सही लोगों को संवेदित करते चलने का अन्दाज बहुत प्यारा लगता है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com