tag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post6819660786297536721..comments2023-10-30T15:33:34.839+05:30Comments on पुरातत्ववेत्ता: एक पुरातत्ववेत्ता की डायरी – तेरहवां दिन – एकशरद कोकासhttp://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-70586761633234617092013-10-09T12:34:17.918+05:302013-10-09T12:34:17.918+05:30बहुत दिनों से आगे की कहानी नहीं लिखी सोच रहा हूँ आ...बहुत दिनों से आगे की कहानी नहीं लिखी सोच रहा हूँ आगे बढाई जाए<br /><br />शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-30890276269692266002011-02-03T09:20:12.427+05:302011-02-03T09:20:12.427+05:30मुझे लग रहा है कि मैं पढ़ नहीं रहा बल्कि आपके साथ ह...मुझे लग रहा है कि मैं पढ़ नहीं रहा बल्कि आपके साथ ही भ्रमण कर रहा हूँ!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-32009719929576229702011-02-03T03:04:39.975+05:302011-02-03T03:04:39.975+05:30२००९ की दिवाली पर हम आखिरी क्षण में बनी योजना पर प...२००९ की दिवाली पर हम आखिरी क्षण में बनी योजना पर पुणे से अजंता-एलोरा निकल पड़े थे. बड़ी यादगार रही थी वो यात्रा. बड़े सुखद विचार आते हैं रास्ते में.Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-50245113137476529132011-02-02T23:00:41.344+05:302011-02-02T23:00:41.344+05:30एलोरा दो बार हो आया और अजंता देखने की चाह है। यह व...एलोरा दो बार हो आया और अजंता देखने की चाह है। यह वृत्तांत पढ़कर फिर से हुड़क चढ़ रही है....देखें, कब जाना होता है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1532469439068129249.post-45605252349801811092011-02-02T21:32:57.699+05:302011-02-02T21:32:57.699+05:30बस यहाँ रही होगी यह निर्जन पहाड़ी , नाल के आकार म...बस यहाँ रही होगी यह निर्जन पहाड़ी , नाल के आकार में गुफाओं की लम्बी कतार , आकाश में विचरण करते ढेर सारे पक्षी । वातावरण में गूंजते होंगे ‘ बुद्धम शरणम गच्छामि ‘ के स्वर ..<br />लगा जैसे उसी समय काल में पहुँच गए हम भी.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com