पिरामिड की आड में..

लेकिन सोने की हमारी कोशिश असफल रही । वैसे भी ठण्ड का समय था और हम लोग नौ बजे लगभग बिस्तरों में घुस गए थे उस हिसाब से ज़्यादा समय भी नहीं हुआ था । मैंने कहा ‘चलो समय काटने के लिए जिस तरह वेताल पच्चीसी में राजा विक्रमादित्य को उसके कंधे पर लदे हुए बेताल ने कहानियाँ सुनाई थीं मैं भी तुम लोगों को बेताल की तरह एक कहानी सुनाता हूँ । “ रवीन्द्र बोला ” भैये, पहले तय कर ले हम में से विक्रमादित्य कौन है जो तेरी कहानी ढंग से सुनेगा क्योंकि बाद में तो तू उसीसे सवाल पूछेगा । अशोक ने उसका समर्थन करते हुए कहा " और हाँ बेताल तू ही बन हम लोग तो फ़िलहाल ज़िन्दा हैं ।” “ चुप बे..बड़ा आया ज़िन्दा कहींका " अजय ने उसे झिड़कते हुए कहा " ये जीना भी कोई जीना है ..
मैंने दोनों की ओर मुस्कुराकर देखा और कहा " भाई, जिंदा-मुर्दा बात में तय कर लेना फिलहाल तो यह कहानी सुनो । मैंने देखा मित्रों की आँखों से बच्चों सी उत्सुकता झाँक रही थी । ”चलो ." मैंने कहा ..."मैं तुम्हें यूनान ले चलता हूँ । योरोप और बाल्कन प्राय:द्वीप के दक्षिण में इजियन सागर से लगा प्रदेश है यूनान, वही प्रदेश जिसे वर्तमान में ग्रीस कहते हैं । यहाँ दक्षिण यूनान के पेलोपोनेसस क्षेत्र में उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उत्खनन किया गया जिससे माइसीनी नगर में प्राचीन सभ्यता का पता चला । इस तरह हमें यूनान के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त हुई । पुरातात्विक सामग्री के अलावा यूनान के प्राचीन इतिहास के बारे में जानने का स्त्रोत वहाँ की पौराणिक कथायें भी हैं । यद्यपि विश्व की अधिकांश पौराणिक कथाओं की भांति इन कथाओं के नायक व घटनायें भी काल्पनिक हैं लेकिन इन कथाओं में प्राचीन यूनानियों के काम धन्धे,औज़ारों, रीति -रिवाज़ों आदि के बारे में बहुत सारी जानकारियाँ मिलती हैं । यह यूनानी किन देशों की यात्रायें करते थे और किन किन देवी-देवताओं में विश्वास करते थे यह जानकारी भी इनमें है।
“वाह ! वाह ! अच्छी कहानी है ..लेकिन
सारे वीर यूनान में ही पैदा नहीं हुए हैं " हमारे हनुमान भक्त मित्र पंडित
राममिलन शर्मा इलाहाबादी बहुत देर से हरक्युलिस
का किस्सा सुन रहे थे और मन ही मन नाराज़ हो रहे थे । उन्होंने गुस्से से
कहा " होगा हरक्युलिस बहुत बड़ा वीर लेकिन हमरे यहाँ के वीर हनुमान भी उनसे
कुछ कम नहीं हैं , उन्होंने तो सूरज को निगल जाने और संजीवनी बूटी का पहाड़ उठा
लाने जैसे बड़े बड़े कारनामे किये हैं उनको
भी ऐसे ही राक्षस रास्ते में मिलते हैं और लंका जाते समय ऊ सुरसा भी मिलती है.. ई हर्क्यूलिसवा
भी तो उन्हीं का यूनानी अवतार है । ये सब कथाएँ हमरे यहाँ से ही ओ लोग चोरी
किये हैं ।"

लेकिन सोने की हमारी कोशिश असफल रही । वैसे भी ठण्ड का समय था और हम लोग नौ बजे लगभग बिस्तरों में घुस गए थे उस हिसाब से ज़्यादा समय भी नहीं हुआ था । मैंने कहा ‘चलो समय काटने के लिए जिस तरह वेताल पच्चीसी में राजा विक्रमादित्य को उसके कंधे पर लदे हुए बेताल ने कहानियाँ सुनाई थीं मैं भी तुम लोगों को बेताल की तरह एक कहानी सुनाता हूँ । “ रवीन्द्र बोला ” भैये, पहले तय कर ले हम में से विक्रमादित्य कौन है जो तेरी कहानी ढंग से सुनेगा क्योंकि बाद में तो तू उसीसे सवाल पूछेगा । अशोक ने उसका समर्थन करते हुए कहा " और हाँ बेताल तू ही बन हम लोग तो फ़िलहाल ज़िन्दा हैं ।” “ चुप बे..बड़ा आया ज़िन्दा कहींका " अजय ने उसे झिड़कते हुए कहा " ये जीना भी कोई जीना है ..
मैंने दोनों की ओर मुस्कुराकर देखा और कहा " भाई, जिंदा-मुर्दा बात में तय कर लेना फिलहाल तो यह कहानी सुनो । मैंने देखा मित्रों की आँखों से बच्चों सी उत्सुकता झाँक रही थी । ”चलो ." मैंने कहा ..."मैं तुम्हें यूनान ले चलता हूँ । योरोप और बाल्कन प्राय:द्वीप के दक्षिण में इजियन सागर से लगा प्रदेश है यूनान, वही प्रदेश जिसे वर्तमान में ग्रीस कहते हैं । यहाँ दक्षिण यूनान के पेलोपोनेसस क्षेत्र में उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में उत्खनन किया गया जिससे माइसीनी नगर में प्राचीन सभ्यता का पता चला । इस तरह हमें यूनान के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त हुई । पुरातात्विक सामग्री के अलावा यूनान के प्राचीन इतिहास के बारे में जानने का स्त्रोत वहाँ की पौराणिक कथायें भी हैं । यद्यपि विश्व की अधिकांश पौराणिक कथाओं की भांति इन कथाओं के नायक व घटनायें भी काल्पनिक हैं लेकिन इन कथाओं में प्राचीन यूनानियों के काम धन्धे,औज़ारों, रीति -रिवाज़ों आदि के बारे में बहुत सारी जानकारियाँ मिलती हैं । यह यूनानी किन देशों की यात्रायें करते थे और किन किन देवी-देवताओं में विश्वास करते थे यह जानकारी भी इनमें है।
“तू
कहानी सुना रहा है या यूनान का इतिहास ? ” अजय जोशी ने ऊबकर पूछा । रवीन्द्र ने
उसे छेड़ते हुए कहा “अबे गधे ,इतना भी नहीं जानता कि कहानी और इतिहास में फर्क होता
है ।“ । “ जानता हूँ यार, इसीलिए तो कहा ..लेकिन यह इतनी देर से बोर कर रहा है..
ठीक है ..चल आगे सुना...। “ अजय बोला । “ चलो
ठीक है.." मैंने सकुचाते हुए कहा " भाई हम लोग पुरातत्व के छात्र हैं अब
हिंदी के कथाकार की तरह कहानी थोड़े ही सुना सकते हैं । चलो फिर भी कोशिश करता हूँ ,तुम्हें हर्क्यूलिस या हेराक्लीज़ की कहानी सुनाता हूँ ।“
" प्राचीन यूनान में अनेक देवी
देवता हुए हैं जिनमें हेराक्लीज़ नामक एक प्रसिद्ध देवता था । जैसे कि होता आया है
यूनान के कई देवी देवता कुछ बदले हुए नामों के साथ रोम में भी पाए जाते हैं अतः इस
तरह यूनान का हेराक्लीज़ रोम का देवता हरक्युलिस हो गया । हरक्युलिस के बारे में
कहा जाता है कि वह आधा देवता और आधा मनुष्य था और उसके पास अद्भुत शक्तियाँ थीं । यूनान
और रोम के लोग पराक्रमी हर्क्यूलिस के कारनामों को बहुत पसन्द करते थे । ऐसा ही
उसका एक कारनामा मैं तुम्हें सुनाता हूँ ।"
"यूनान में एक राजा था जिसका नाम
ऑजियस था । यह राजा बहुत संपन्न था ,उसका राज्य भी काफी विशाल था और उसकी गौशाला में पाँच हज़ार से अधिक गाय और बैल थे । अब
इतनी बड़ी गौशाला होगी तो उसके लिए गौसेवक भी उतने ही होने चाहिए लेकिन ऐसा नहीं था
। उसने सारे गौसेवकों को युद्ध और दूसरे कामों में लगा दिया जैसे कि वे राजस्व की
वसूली भी करने लगे । स्वाभाविक था कि गौशाला की व्यवस्था बिगड़ गई और वहाँ कई दिनों
तक सफाई व्यवस्था ठप्प हो गई ।"
"एकदम सही बोला भाई " अजय
ने कहा " हमारे यहाँ भी जब सफाई कर्मचारी हड़ताल करते हैं तो ऐसे ही होता है ।"
मैंने कहा "ठीक है आगे सुनो....इसका परिणाम यह हुआ कि गौशाला गोबर से भर गई,
उसे साफ करने वाला कोई ना था । तब राजा ऑजियस
को हरक्युलिस की याद आई । अब वह देवता भी था और मनुष्य भी और शक्ति संपन्न तो था
ही । हरक्युलिस ने गोबर के इस पहाड़ को साफ़
करने की एक योजना बनाई । उसने अपनी शक्ति से सबसे पहले पास की दो नदियों पर चट्टानों
से एक बांध बना दिया, जल्द ही नदियाँ ऊपर तक भर गईं और फिर उसके बाद उसने वह बांध
एक झटके में तोड़ दिया, बस पानी की तेज़ धार छूटी और सारा गोबर अपने साथ बहा ले गई ।”
“तू भी यार सोते समय क्या गन्दी
गन्दी कहानी सुना रहा है..तेरे दिमाग में
भी लगता है यही भरा है ” अजय ने हँसते हुए कहा । “ सुनो तो ..“ मैं अपने प्रवाह
में था “ यह हरक्युलिस के साथ अनेक बार हुआ कि उसे अपनी शक्ति की परीक्षा देनी पड़ी
। ऐसे ही एक बार क्या हुआ कि यूनान के राजा यूरीस्थेयस ने उससे कहा कि मैं तुम्हें
शक्तिमान तब मानूंगा जब तुम मेरे लिए सोने के तीन सेब लेकर आओगे । राजा का आदेश
पाकर हरक्यूलिस सोने के सेब की खोज में
निकला । यह सेब यूनान से पश्चिम में इजियन महासागर के किनारे या पृथ्वी के सुदूर
उत्तर में किसी बाग में किसी पेड़ पर लगे
थे जो देवताओं की संपत्ति थे जहां सौ सर
वाले दैत्य उनकी रक्षा करते थे ।"
"हरक्युलिस का मार्ग आसान नहीं
था । सबसे पहले उसे रास्ते में किक्नोस नामक दैत्य से लड़ना पड़ा । उसे परास्त कर वह
आगे बढ़ा जहाँ जल देवता नीरियस से उसकी मुठभेड़ हुई । नीरियस के बारे में यह मशहूर
था कि वह अपने शरीर को चाहे जितना बड़ा या छोटा कर सकता था । " मतलब सुरसा
राक्षसी की तरह ? राममिलन भैया बहुत ध्यान से कहानी सुन रहे थे । " बिलकुल
" मैंने कहा " लेकिन उसे भी हरक्युलिस ने परास्त कर दिया । आगे बढ़ने पर उसे
समुद्र के देवता पोसायडान का बेटा एन्तेयस मिला जिसके बारे में मशहूर था कि धरती
पर पाँव रखते ही उसके शक्ति दुगनी हो जाती थी । सो हरक्युलिस ने युक्ति लगाईं और उसे
हवा में उछाल उछाल कर ही मार डाला ।
"फिर क्या हुआ ? अभी और राक्षस
बचे हैं क्या " रवींद्र ने पूछा । "नहीं" मैंने कहा " उसके
बाद वह काकेशस पर्वत पर आया जहाँ प्रोमेथ्युस बंदी था । यह वही प्रोमेथ्युस था जो
मनुष्यों के लिए देवताओं से अग्नि चुराकर लाया था और उसे ज्यूस देवता ने इस बात की
सजा देते हुए एक चट्टान से बांध दिया था । जहाँ एक गरुड़ रोज आता था और उसके जिगर
को थोड़ा सा खा जाता था । हरक्युलिस ने प्रोमेथ्यूस को ज़िगर खा जाने वाले भयानक
गरुड़ दैत्य से भी मुक्ति दिलाई । इसके बदले में प्रोमेथ्युस ने उसे सेब के बाग़ तक
पहुँचने का रास्ता भी बताया और यह भी बताया कि एटलास तुम्हें धोखा देगा सो सावधान
रहना । इस तरह हरक्युलिस अनेक दैत्यों और देवताओं से लड़ते हुए आखिर उस बाग़ तक
पहुँचा । हरक्युलिस जब वहाँ पहुँचा तो
उसने देखा कि वहाँ वीर अटलांटिस या एटलस उस बाग़ में सोने के सेब की रक्षा कर रहा
था । वह अपने काँधे पर आकाश को थामे हुए था और पृथ्वी पर खड़ा था । अब उस समय
यूनानियों को आकाश की वास्तविकता तो मालूम नहीं थी । वे सोचते थे कि आकाश पृथ्वी
पर गिर रहा है और वीर अटलांटिस उसे अपनी पीठ पर थामे हुए है जिसकी वज़ह से पृथ्वी
बची हुई है ।
“इसी के नाम पर अटलांटिक महासागर का
नाम पड़ा है ना ? ” अशोक ने पूछा “ हाँ । “ मैंने कहा “ अब आगे सुनो । हरक्यूलिस ने
वीर अटलांटिस से सेब की मांग की और उसे बताया कि राजा यूरीस्थेयस के सामने उसे अपनी शक्ति की परीक्षा देनी है ।
एटलस के मन में विचार आया कि वह स्वयं ही सोने के सेब लेकर राजा के सामने क्यों न
चला जाए ताकि वह खुद को हरक्युलिस से ज़्यादा बड़ा वीर साबित कर सके । उसने
हरक्युलिस से कहा 'मैं सेब तोड़ता हूँ तब तक तुम अपने कंधे पर यह आकाश थामे रखो ।'
जितनी देर में अटलांटिस ने सेब तोड़ा हरक्यूलिस ने अपनी पीठ पर आकाश को थामें रखा।
यूनानी कहते हैं कि आकाश का वज़न इतना अधिक था कि हरक्यूलिस के पाँव घुटनों तक
पृथ्वी में धंस गए ,बोझ से उसकी हड्डियाँ
चरमराने लगीं और पसीने की नदियाँ बहने लगीं । “
"फिर क्या हुआ यार ?" अजय
ने उत्सुकता से पूछा । " बस फिर क्या होना था ।" मैंने कहा " एटलास
सेब तोड़ लाया और उसे लेकर जाने लगा । हरक्युलिस समझ गया कि उसके साथ धोखा हुआ है ।
लेकिन उसे प्रोमेथ्युस ने पहले ही बता दिया था कि एटलास तुम्हारे साथ ऐसा करेगा सो
उसने एटलास से कहा ' भाई , मेरे कन्धों में बहुत दर्द हो रहा है वे छिल न जाएँ इस
लिए मैं कंधे पर कोई नर्म पैड रखना चाहता हूँ ,सो एक मिनट के लिए तुम यह भारी भरकम
आकाश थाम लो, मैं फिर वापस अपने कंधे पर ले लूँगा ।एटलस उसकी बातों में आ गया और
उसने फिरसे आकाश अपने कंधे पर ले लिया । बस हरक्युलिस को मौका मिला गया और वह सोने
के सेब लेकर भाग गया ।

मैंने कहा ” हाँ राममिलन भैया ,यूनानियों
की तरह पुराणकथायें तो हमारे यहाँ भी हैं और उनमें भी अनेक किस्से हैं जो दुनिया
की अनेक सभ्यताओं के किस्सों जैसे ही हैं । और कई पात्र तो हमारे मिथकीय पात्रों
से मिलते जुलते भी हैं जैसे उनका हरक्युलिस तो हमारे हनुमान, उनका ज्यूस और हमारा
इंद्र । जैसे हमारे यहाँ गांधारी के आँख की पट्टी खोलकर देख लेने पर दुर्योधन के शरीर
के वज्र के हो जाने की कथा है वैसे ही उनके यहाँ एकिलिस की माँ द्वारा उसके शरीर
को वज्र करने के लिए उसे स्टिक नामक नदी में डुबोये जाने की कथा है ।"
“ भाई अब तेरी कथा बाद में सुनेंगे ।"
रवींद्र ने कहा । " अब नींद आ रही है ..लेकिन यार यह योरोप ,बाल्कन द्वीप, पेलोपोनेसस ..लगता
है अगली बार तेरी बातें समझने के लिए प्राचीन
विश्व का नक्शा लेकर बैठना पड़ेगा “। " बिलकुल ।" मैंने कहा । वैसे भी
रात काफी हो चुकी थी और नींद से सबकी
ऑंखें बोझिल हो रही थीं । बिजली के बल्ब
से निकलने वाली रोशनी के ड्यूटी आवर्स भी समाप्त हो चुके थे । पूस की ठंडी हवा
तम्बू के छेदों से भीतर प्रवेश कर रही थी ।
जाने क्यों मुझे इस ठण्ड में इन
काल्पनिक कहानियों के बरक्स यथार्थ के धरातल पर लिखी प्रेमचंद की कहानी ‘ पूस की
रात ‘ याद आ रही थी । इससे पहले कि हम लोगों की हालत ठण्ड में कांपते किसान हल्कू
की तरह हो जाए हम लोगों ने सो जाना उचित समझा वैसे
भी अब कोई कहानी सुनाने का वक्त नहीं बचा था और आज के लिए काफी कहानियां हो चुकी
थीं । अंततः मैं उस हवा में पृथ्वी के
पहले मनुष्य की देहगन्ध महसूस करता हुआ जाने कब नींद के आगोश में चला गया ।
मेराथन के बारे में जानकर अच्छा लगा. ज्ञानवर्धन का आभार.
जवाब देंहटाएंsharad bhai......kamaal andaaj hai ,,, aur shailee bhee dilchasp raha...aage bhee padhne kee ichha hai....
जवाब देंहटाएंदूसरों को अपने चिट्ठे पर आकृष्ट करने के लिए उनके चिट्ठों पर जाकर टिपण्णी किया करें. हम तो आपको पढ़ ही रहे हैं. जवानी की नोक झोंक मन भावन लगी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर!मजेदार!
जवाब देंहटाएंअनोखा लेखन प्रांजल प्रवाह नमन
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